मधेपुरा जिले के शंकरपुर थाना क्षेत्र के एक निवासी सचिन ने स्थानीय प्रशासन की अनदेखी और बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन से चार वर्षों से वे लगातार डीएसपी, एसपी, अंचल अधिकारी, मुखिया, सचिव, एवं सरपंच समेत तमाम जिम्मेदार अधिकारियों को आवेदन एवं शिकायतें सौंप चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
सचिन के अनुसार, उनकी गली में स्थित नाली पूरी तरह से जाम है, जिससे बरसात या सामान्य दिनों में भी गंदा पानी घरों तक भर आता है। यह स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि लोगों का गली से निकलना दुश्वार हो गया है। कीचड़ और बदबूदार पानी के बीच चलना किसी मलमल भरे दलदल से गुजरने जैसा हो गया है।
सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। सचिन ने बताया कि गली में जलजमाव और फिसलन के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है। अभिभावकों को भी बच्चों को बाहर भेजने में डर लगता है, कहीं गिरकर चोट न लग जाए या कोई बीमारी न फैल जाए।
स्थानीय लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं कि गंदगी और जलभराव के कारण मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है, जिससे बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है। डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों की आशंका से लोग परेशान हैं, लेकिन इसके बावजूद संबंधित विभाग आंखें मूंदे बैठा है।
सचिन ने मीडिया के माध्यम से प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अब भी कोई सुनवाई नहीं होती, तो वे जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अब सवाल उठता है कि आखिर कब तक आम जनता इस तरह की मूलभूत समस्याओं से जूझती रहेगी? क्या नालियों की सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था इतनी जटिल है कि सालों तक लोग आवेदन देते रहें और फिर भी कुछ न हो?