“क्या आम आदमी की जमीन पर भी अब दबंगों का कब्जा जायज है?” – यही सवाल उठा रहे हैं चंदौली के भलेहटा गांव निवासी बाबूलाल मौर्य, जो पिछले कई दिनों से अपने वैध खेत को बचाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
जिला चंदौली के सकलडीहा तहसील अंतर्गत भलेहटा गांव में जमीन विवाद ने तूल पकड़ लिया है। बाबूलाल मौर्य पुत्र स्व. केदारनाथ मौर्य ने आरोप लगाया है कि खतौनी संख्या 187, रकबा 0.638 हेक्टेयर जो कि उनकी पुश्तैनी कृषि भूमि है, उस पर जबरन दबंगों द्वारा पुलिया और ड्रेन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
पीड़ित का कहना है कि उन्होंने वैधानिक तरीके से जमीन की पैमाइश करवाई थी और इसकी सूचना प्रशासन को भी दी गई थी। बावजूद इसके, जयप्रकाश सिंह और विकास पांडे नामक ठेकेदारों द्वारा गुंडों के साथ मिलकर खेत में जबरन निर्माण कार्य जारी है। बाबूलाल का कहना है कि उन्होंने कई बार विरोध किया, मगर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई है (शिकायत संख्या – 4001962500848), लेकिन न तो एसडीएम, न ही लेखपाल, न ही सचिव किसी ने भी इस गंभीर मामले में कोई ठोस कदम उठाया। उल्टे पीड़ित परिवार को ही डराया जा रहा है और निर्माण कार्य लगातार जारी है।
बाबूलाल मौर्य का कहना है कि “यदि मेरी जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा कर लिया गया तो न्याय का कोई मतलब नहीं बचेगा। ये केवल मेरे साथ नहीं हो रहा, कल किसी और के साथ भी हो सकता है। क्या प्रशासन अब गुंडों के इशारे पर काम करेगा?”
गांव में बढ़ रहा तनाव, धारा 144 लागू करने की मांग
ग्रामीणों के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव को देखते हुए बाबूलाल मौर्य ने प्रशासन से धारा 144 लगाने की मांग की है ताकि शांति बनी रहे और निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए।
जमीन पर हो रहा अन्याय, प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर रोका निर्माण
13 जून 2025 को उपजिलाधिकारी सकलडीहा के आदेश पर गांव में पैमाइश की गई। ग्राम प्रधान व ग्रामीणों की उपस्थिति में यह स्पष्ट हुआ कि आर. 188 (नाली) पर निर्माण कार्य अवैध रूप से किया जा रहा है। ग्राम प्रधान को निर्देश देकर निर्माण रोकने को कहा गया, लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया गया।
बाबूलाल मौर्य और अन्य ग्रामीणों – अशोक मौर्य, मिथिलेश मौर्य, रमेश सहित कई लोगों ने कहा कि अब प्रशासन को इस मामले में कठोर कार्यवाही करनी चाहिए वरना गांव में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।
क्या प्रशासन दबंगों के आगे झुक गया है?
बाबूलाल मौर्य का सवाल यही है – “क्या अब हमें अपनी ही जमीन बचाने के लिए जान देनी होगी? जब वैध दस्तावेज हैं, पैमाइश हो चुकी है, फिर निर्माण क्यों हो रहा है? हमारी कहीं सुनवाई क्यों नहीं हो रही