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आज की सच्ची कहानी है रेखा और विवेक की – दो दिल, दो गांव, एक प्रेम… लेकिन समाज की बंदिशों में उलझा रिश्ता।

समस्तीपुर जिले के विवेक कुमार और दरभंगा जिले की रेखा कुमारी एक-दूसरे से प्यार करते हैं। 7 फरवरी 2025 को दोनों घर छोड़कर चले गए। समाज में हड़कंप मचा। दो दिन बाद, 9 फरवरी को दोनों लौट आए। उम्मीद थी कि शादी हो जाएगी, पर अब समाज और परिवार दीवार बनकर खड़े हो गए हैं।

पहले कहा गया था कि शादी करवा देंगे, अब कहा जा रहा है बात तक नहीं करने देंगे। रेखा को विवेक से अलग किया जा रहा है। विवेक को धमकाया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला

प्रेम की राह में दीवार: विवेक और रेखा की कहानी समाज के सवालों के कटघरे में

समस्तीपुर और दरभंगा जिलों के दो अलग-अलग गांवों से ताल्लुक रखने वाले विवेक कुमार और रेखा कुमारी का प्रेम अब सामाजिक बहस का विषय बन गया है। विवेक, बसंतपूर रमणी (हायाघाट, समस्तीपुर) निवासी हैं और रेखा, थलवाड़ा रतनपुरा (दरभंगा) निवासी, जिनके पिता का नाम छेदी पंडित है।

दोनों 7 फरवरी 2025 को अपने घरों से भाग निकले। दो दिन बाद 9 फरवरी को वे लौट आए। शुरुआती बयान थे कि समाज की सहमति से दोनों की शादी होगी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। रेखा को उसके घरवालों ने विवेक से पूरी तरह काट दिया है और विवेक को कानूनी कार्रवाई की धमकियां मिल रही हैं।

प्रेम के खिलाफ समाज?

ग्रामीण बिहार में आज भी प्रेम विवाह को लेकर सामाजिक स्वीकृति का अभाव है। परिवार और समाज अक्सर युवक-युवती के बीच सहमति से बने रिश्तों को स्वीकार नहीं करते। रेखा और विवेक के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है।

पहले समाज ने बीच-बचाव का भरोसा दिया, लेकिन अब वही समाज विवेक को दोषी ठहराकर रेखा से उसकी बातचीत तक बंद करा चुका है।

सवाल समाज से

जब दोनों बालिग हैं, तो प्रेम करने और साथ रहने के अधिकार से उन्हें क्यों वंचित किया जा रहा है?

क्या एक युवक को प्रेम की सजा धमकी और कानूनी शिकंजे के रूप में मिलनी चाहिए?

क्या आज के दौर में भी प्रेम को अपराध की तरह देखा जाएगा?

कानून क्या कहता है?

भारतीय कानून के तहत यदि दोनों युवक-युवती बालिग हैं और आपसी सहमति से साथ रहना चाहते हैं, तो कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता। झूठे आरोप लगाना या अलग करने के लिए धमकाना कानूनन अपराध है। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार इस विषय पर स्पष्ट दिशा-निर्देश दे चुका है।

समाधान की राह

समाज को प्रेम को अपराध मानने की सोच से बाहर निकलना होगा। ऐसे मामलों में प्रशासन और पुलिस को निष्पक्षता से काम लेना चाहिए ताकि प्रेमियों की सुरक्षा और अधिकार दोनों की रक्षा हो सके।

विवेक और रेखा का प्रेम आज समाज और कानून के बीच झूल रहा है। ये सिर्फ दो लोगों की कहानी नहीं, बल्कि उस मानसिकता की तस्वीर है, जिसमें प्रेम को आज भी शक, डर और विरोध के चश्मे से देखा जाता है। सवाल यही है—क्या प्रेम करने वाले अब भी समाज के लिए खतरा हैं, या समाज खुद अपने मूल्यों की कसौटी पर खड़ा है?

सवाल ये है – क्या प्रेम करना गुनाह है?

जब दोनों बालिग हैं, जब दोनों सहमति से साथ रहना चाहते हैं, तो क्या समाज को उन्हें रोकने का हक़ है?

क्या परिवार और पंचायत के दबाव में प्यार को कुचला जाएगा?

क्या कानून सिर्फ किताबों में लिखा है?

भारतीय संविधान कहता है – हर बालिग को अपने जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। लेकिन गांवों में आज भी ये हक़ छीना जा रहा है।

समाज को बदलने की जरूरत है। प्रेम को समझने की जरूरत है। विवेक और रेखा जैसे प्रेमियों को न्याय देने की जरूरत है।

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