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दो बेटियाँ जन्म से ही गूंगी-बहरी, मां सुनीता देवी ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश): जनपद अलीगढ़ की रहने वाली सुनीता देवी पत्नी बदल बेहद गरीबी और संकट के दौर से गुजर रही हैं। उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से अपनी व्यथा जाहिर करते हुए बताया कि उनकी तीन बेटियाँ हैं, जिनमें से दो—स्वीटी और अनन्या—जन्म से ही न बोल सकती हैं और न सुन सकती हैं।

परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि इलाज करवाना तो दूर, रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। सुनीता देवी ने मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति से भावुक अपील की है कि उनके परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

पीड़िता सुनीता देवी ने कहा:
“मेरी दो बेटियाँ ना बोल सकती हैं, ना सुन सकती हैं। बहुत कठिनाई से उनका पालन-पोषण कर रही हूँ। सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन करती हूँ कि हमारी मदद की जाए, ताकि बेटियों का इलाज और शिक्षा संभव हो सके।”

सुनीता देवी का कहना है कि जब से बेटियों का जन्म हुआ है, उन्होंने कई बार सहायता के लिए अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई ठोस मदद नहीं मिली है।

परिवार की यह मांग है:

दोनों बच्चियों के इलाज के लिए सरकारी सहायता मिले

विकलांगता के आधार पर पेंशन और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएं

बेटियों के भविष्य के लिए शिक्षा और देखभाल की व्यवस्था हो

यदि इस अपील पर सरकार और प्रशासन ने शीघ्र संज्ञान नहीं लिया, तो यह दो मासूम बच्चियों के जीवन और भविष्य पर गहरा असर डाल सकता है।

क्या है पूरा मामला? दो मासूम बेटियां जन्म से गूंगी-बहरी, मां की सरकार से भावुक अपील)

यह मामला है उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले का, जहां की रहने वाली सुनीता देवी—जोकि बदल की पत्नी हैं—इस समय बेहद गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रही हैं। उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें से दो बेटियाँ—स्वीटी और अनन्या—जन्म से ही न बोल सकती हैं, न सुन सकती हैं। जी हां, जन्म से ही गूंगी और बहरी।

सुनीता देवी ने एक वीडियो के जरिए अपनी पीड़ा को सबके सामने रखा है। उनका कहना है कि इतने सालों से वह अकेले ही इन बच्चियों की परवरिश कर रही हैं, लेकिन अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि इलाज करवाना तो दूर, दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो गई है।

सुनीता देवी ने हाथ जोड़कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि उन्हें आर्थिक सहायता दी जाए ताकि उनकी मासूम बेटियों का इलाज हो सके, उन्हें शिक्षा मिल सके और एक बेहतर जीवन मिल सके।

उनका कहना है —
“सरकार से मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि मेरी मदद की जाए। मेरी दोनों बेटियाँ ना सुन सकती हैं, ना बोल सकती हैं। मैं बहुत परेशानी में हूं।”

सवाल ये है —
क्या इन बच्चियों का दोष सिर्फ इतना है कि वो गरीब घर में पैदा हुईं?
क्या हमारी सरकारें सिर्फ वादे करने तक सीमित हैं?
क्या ऐसे परिवारों को बेसहारा छोड़ देना ही विकास की परिभाषा बन चुकी है?

ई खबर के माध्यम से हम सरकार और प्रशासन से अपील करते हैं कि सुनीता देवी और उनकी बच्चियों की मदद तुरंत की जाए।
ये सिर्फ एक परिवार नहीं, एक समाज की जिम्मेदारी है। क्योंकि जब कोई आवाज नहीं उठा सकता, तब हमारी आवाज ही उसकी उम्मीद बनती है।

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