बारा बंकी के छोटे से गांव वाजिदपुर, मालपुर अरसंडा
बाराबंकी, सआदतगंज, उत्तर प्रदेश में रहने वाले हरिओम यादव की उम्र सिर्फ 14 साल है। लेकिन हालातों ने उसे वक्त से बहुत पहले बड़ा बना दिया है। पिता राम नरेश अब इस दुनिया में नहीं हैं। मां रूपमती छोटी-मोटी मज़दूरी करके किसी तरह घर का चूल्हा जलाती हैं।
हरिओम तीन भाइयों में सबसे छोटा है। बड़े दोनों भाई अब साथ नहीं देते। मां और बेटे की जोड़ी अब इस लड़ाई को अकेले लड़ रही है।
“अब मम्मी ही सब कुछ हैं… मैं वीडियो बनाकर कुछ करना चाहता हूं”
हरिओम कहता है – “पापा नहीं हैं… मम्मी मज़दूरी करती हैं… मैं चाहता हूं कि सोशल मीडिया पर वीडियो बनाऊं… कुछ अर्निंग हो, मम्मी का सहारा बन सकूं।”
हरिओम अब यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर छोटे-छोटे वीडियो बना रहा है। गांव की सादगी, मां की मेहनत, और जिंदगी के छोटे-छोटे किस्से – ये सब उसकी कहानियों का हिस्सा हैं।
ना स्टूडियो है, ना कैमरा… लेकिन जज्बा किसी स्टार से कम नहीं
मोबाइल फोन से बनते हैं वीडियो। एडिटिंग भी खुद करता है। कभी छत पर बैठकर, कभी खेत के किनारे – हर जगह एक मंच है उसके लिए। उसे उम्मीद है कि एक दिन उसके वीडियो वायरल होंगे और लोग उसके संघर्ष को सराहेंगे।
ऐसे बच्चों को आगे बढ़ने का मौका दें
हरिओम जैसा बच्चा सिर्फ एक स्टोरी नहीं है, ये एक उदाहरण है। जो बताता है कि मुश्किल हालात भी हौसलों को नहीं तोड़ सकते। अगर आप उसकी मदद करना चाहें, तो उसके वीडियो को शेयर करें, हौसला बढ़ाएं। शायद आपका एक क्लिक उसकी जिंदगी बदल दे।
संवाददाता ई खबर मीडिया बाराबंकी से रिपोर्ट