आज की हमारी विशेष रिपोर्ट अहमदाबाद से है, जहां एक लिव-इन रिलेशनशिप समझौता चर्चा का केंद्र बन गया है।
क्या है मामला?
4 नवंबर 2014 को, अहमदाबाद के शाह वादी मोतीपुरा इलाके में रहने वाली 19 वर्षीय निरमा, जो राजूभाई गुर्जर की बेटी हैं, ने बोटाड के 25 वर्षीय मजदूर राहुल खीमाभाई मकवाणा के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया। दोनों ने एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए और स्पष्ट किया कि यह उनका स्वतंत्र निर्णय है।
समझौते में क्या है खास?
सबसे पहले, वयस्क और स्वेच्छा से लिया गया निर्णय: दोनों ने सहमति दी है कि वे स्वतंत्र हैं और बिना किसी दबाव के इस रिश्ते में प्रवेश कर रहे हैं।
जातीय भिन्नता: निरमा और राहुल अलग-अलग जाति और गांव से हैं, लेकिन पिछले चार महीनों से उनके बीच गहरा संबंध है।पारिवारिक संपत्ति पर कोई दावा नहीं: निरमा ने साफ किया है कि वह अपने माता-पिता के घर से कुछ भी लेकर नहीं आई हैं और दहेज जैसी कोई बात नहीं है।
भविष्य के लिए प्रतिबद्धता: दोनों ने वादा किया है कि वे शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जीवन बिताएंगे।
निरमा का आरोप
निरमा ने अपने पति सागर प्रभु गुर्जर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उनके पति शराब के नशे में उनके साथ मारपीट करते थे और उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। इससे परेशान होकर उन्होंने राहुल के साथ नया जीवन शुरू करने का फैसला किया।
पुलिस से सुरक्षा की गुहार
लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं होता। निरमा और राहुल का कहना है कि निरमा के परिवार वाले उन्हें जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। उन्होंने मीडिया के माध्यम से पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है।
समाज में बहस का मुद्दा
इस पूरे मामले ने अहमदाबाद में नई बहस छेड़ दी है। एक तरफ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार माना जा रहा है, तो दूसरी ओर पारंपरिक मूल्यों को चुनौती भी दी जा रही है।
आपकी राय क्या है?
क्या लिव-इन रिलेशनशिप को समाज और कानून से मान्यता मिलनी चाहिए? इस मामले पर आपकी क्या राय है? हमें कॉमेंट में जरूर बताएं।