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बिना नोटिस गिराया महिला का मकान, पुलिस ने शिकायत लेने से किया इनकार: 20 साल पुराना संपत्ति विवाद फिर उभरा

अहमदाबाद : वटवा स्थित बच्चूनगर खंड-बी में रहने वाली 24 वर्षीय चंचल कुमारी पत्नी रविकांत बीते दो दशकों से अपनी मां अंजूदेवी के साथ रह रही थीं। यह मकान प्लॉट नंबर 25 पर स्थित है, जिसकी वैध रजिस्ट्री वर्ष 2000 में अंजूदेवी ने रफीकभाई हाजी कादरभाई मेमन से ₹30,000 में की थी। रजिस्ट्री में साफ तौर पर संपत्ति का स्वामित्व, कब्जा और उपयोग का अधिकार अंजूदेवी को दिया गया था।

लेकिन हाल ही में म्युनिसिपालिटी द्वारा सड़क निर्माण के नाम पर इस संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया। चंचल कुमारी का कहना है कि जितना क्षेत्र चिन्हित किया गया था, उससे अधिक हिस्से को तोड़ा गया। बीती रात लगभग 10 बजे जेसीबी मशीन ने उनके घर के बचे हुए दो कमरों को भी पूरी तरह से गिरा दिया।

जब चंचल इस घटना की शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचीं, तो पुलिसकर्मियों ने शिकायत दर्ज करने से साफ मना कर दिया। इससे आहत चंचल ने मीडिया के माध्यम से न्याय की गुहार लगाई है।

मूल बिक्री समझौते के अनुसार, उक्त भूमि सर्वे संख्या 1201 और 1583 पर स्थित है और विशाल एंड कंपनी द्वारा प्लॉटिंग कर बेची गई थी। प्लॉट संख्या 25 की पूर्व दिशा में 14 फीट की सड़क, पश्चिम में मुख्य सड़क, उत्तर में दुकान संख्या 26 और दक्षिण में दुकान संख्या 24 है। दस्तावेज़ में यह भी उल्लेखित है कि खरीदार को पूर्ण अधिकार, उपयोग, निर्माण और स्वामित्व का हक है।

इसके बावजूद, नगरपालिका द्वारा कोई नोटिस दिए बिना कार्रवाई करना कई सवाल खड़े करता है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि बिना वैधानिक प्रक्रिया के घर गिरा देना अमानवीय और गैरकानूनी है।

चंचल कुमारी और उनकी मां अंजूदेवी ने मांग की है कि उन्हें उचित मुआवजा, दोबारा बसाने की व्यवस्था और दोषी अधिकारियों व पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए।

क्या है पूरा मामला

नगरपालिका ने बिना नोटिस रात में गिरा दिया महिला का मकान, शिकायत करने गई तो पुलिस ने नहीं सुनी फरियाद

वटवा गांव के बच्चूनगर खंड-बी की रहने वाली 24 वर्षीय चंचल कुमारी पत्नी रविकांत पिछले 20 वर्षों से अपनी मां अंजू देवी के मकान में रह रही थीं। यह मकान सर्वे नंबर 1201 और 1583 पर स्थित है, जहां से हाल ही में नगरपालिका द्वारा सड़क निकाली जा रही है। चंचल का आरोप है कि म्युनिसिपालिटी के अधिकारियों ने जितना निशान लगाया था, उससे अधिक मकान का हिस्सा जेसीबी से गिरा दिया गया।

उन्होंने बताया कि दो कमरे जो बाकी थे, उन्हें भी बीती रात लगभग 10 बजे बिना पूर्व सूचना के पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। जब वह इसकी शिकायत दर्ज करवाने थाने पहुंचीं, तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनकी फरियाद सुनने से इनकार कर दिया।

मकान की जमीन को लेकर अंजू देवी और रफीकभाई हाजी कादरभाई मेमन के बीच वर्ष 2000 में एक बिक्री समझौता हुआ था, जिसमें प्लॉट नंबर 25, जो लगभग 81 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का है, 30,000 रुपये में बेचा गया था। इस जमीन पर कब्जा भी अंजू देवी को सौंपा गया था, और यह स्पष्ट किया गया था कि इस पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य अंजू देवी के खर्चे पर ही होगा।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह विवाद हाल ही में सड़क निर्माण को लेकर फिर से उठा है, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने बिना किसी नोटिस या वार्ता के सीधे कार्रवाई कर दी।

पीड़िता चंचल कुमारी ने प्रशासन से मांग की है कि उसे न्याय दिलाया जाए, मकान गिराने की घटना की जांच हो, और जिन पुलिस अधिकारियों ने उसकी शिकायत दर्ज नहीं की, उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो।

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